आज फिर एक ज़ख्म ताज़ा हुआ है
जो हमने किया नही , उस गुनाह
का वजह पुछा जा रहा है
जो प्यार को कुर्बान कर दिया
तो गुनेहगार बुलाया गया
आज भी हम जिंदा है
इसलिए बेवफा नाम दिया गया
जैसे हम मर जाते तो
वफ़ा का ज़बूत हो जाता ।
Wednesday, February 2, 2011
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3 comments:
Dear Ms Lakshmy, You have put your creation in a tender manner. Its an excellent idea of sharing your jasbathe on the blog. Keep it up.
Good luck and wishes from Sruthi Astrology.
Thank you Sruthi..
Nice Poem. Website Design & Development
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