कितनी दूरी है ,
फिर भी ऐसा लगे ,
कि तुम हो उस पार
मैं हु इस पार
हम दो मिलने लगे है ..
कही से कही से
नज़र आने लगे है
मुझको सताने लगे है ..
दिल में कहानी
शुरू हो गई है
असमान में दिखने लगे है
कही से कही से
कभी न कभी
तुम भी इसको देखा करो ..
कितनी हसी है
कितना जवान है
रात का ये असमान ॥
तुम भी कभी देखा करो ,
रत का ये असमान ..
No comments:
Post a Comment