Tuesday, October 21, 2008

साथी मेरे ढूँढ के लाना ,

प्यार का मौसम जो खोया तुने ..

साथ आए वो खुशियों का दामन ,

प्यारे थे मुझको जो छोड़ा तुने ॥

फूलों से महका था मेरा गुलशन ,

हवा से बहकी थी मेरी आँचल ,

न जाने हवा ने क्यूँ मुझको छोड़ा ...

न जाने यह गुलशन यूँ तुमने तोड़ा ...

उमंगें सितारे मेरे बन गए थे ,

चारों तरफ़ वो मेरे झा गए थे ..

किया किसने इनको मुझसे जुदा ...

किया क्यूँ उसने ऐसा मज़ा ...

No comments: